Manasvi Choudhary
प्रसिद्ध शायर आणि कवी मुन्नवर राणा यांचं वयाच्या ७१ व्या वर्षी निधन झाले.
मुन्नवर राणा हे प्रसिद्ध शायर आणि कवी होते.
उर्दू, हिंदी आणि अवधी भाषांमध्ये त्यांनी अनेक गझल लिहिल्या आहेत.
“अभी ज़िंदा है माँ मेरी मुझे कुछ भी नहीं होगा, मैं घर से जब निकलता हूँ दुआ भी साथ चलती है!”
“इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है मां बहुत गुस्से में होती है तो रो देती है”
“जिस्म पर मिट्टी मलेंगे पाक हो जायेंगे हम एै ज़मीं एक दिन तेरी ख़ूराक हो जायेंगे हम”
“हमसे मोहबत करने वाले रोते ही रह जाएंगे हम जो किसी दिन सोए ,तो सोते ही रह जाएंगे”
“सरफिरे लोग हमें दुश्मन-ए-जाँ कहते हैं,हम जो इस मुल्क की मिट्टी को भी माँ कहते हैं !”